प्रस्तुत पुस्तकमाला ‘यथा नाम तथा गुण’ को चरितार्थ करती है। अपने नाम के अनुसार यह ज्ञान का पिटारा है। छात्रों की सुकोमल बुद्धि व उनकी प्रवृत्तियों का ध्यान रखते हुए यथास्थान विभिन्न पाठों के माध्यम से संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-पद का रूप, वाक्य रचना आदि व्याकरणिक बिंदुओं को समझाया गया है। इसके साथ ही भाषा ज्ञान में स्तरानुसार वृद्धि और संस्कृत के संपन्न साहित्य से भी छात्रों का परिचय यह पुस्तकमाला कराती है। पुनरावृत्ति शिक्षण का अनिवार्य अंग है। अतः प्रत्येक तीन-चार पाठों के अंत में पुनरावृत्ति नाम से अभ्यास-सामग्री दी गई है जो पूर्वदत्त पाठों पर आधारित है। प्रत्येक पाठ के अंत में दिए अभ्यास-प्रश्नों की रचना कुछ इस प्रकार की गई है कि छात्र भाषा के मुख्य तत्व सीखने के साथ-साथ अपनी त्रुटियों की पहचान भी कर सकेंगे।
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